આજના કપાસ ના ભાવ | Aaj Na Kapas Na Bhav
આજ ના કપાસના ભાવ | ||
તારીખ = 06/06/2022 | ||
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Cotton Prices Today Market आज के समय में कपास की खेती भारत में सबसे महत्वपूर्ण रेशा और नगदी फसल में से एक है। देश की औदधोगिक एवम कृषि अर्थव्यवस्था में कपास एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
कपास की खेती पुरे विश्व में उगाई जाती है। यह कपास की खेती वस्त्र उद्धोग को बुनियादी कच्चा माल प्रदान करता है।
भारत में कपास की खेती 6 मिलियन के आसपास किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आजीविका प्रदान करता है और 40 से 50 लाख लोग इसके व्यापार या प्रसंस्करण में कार्यरत है।
हम आपको बता दे की आज के समय में कपास की खेती को सफेद सोना के रूप में भी जाना जाता है| देश में हर साल व्यापक स्तर पर कपास का उत्पादन होता है. क्योंकी कपास का महत्व इन कार्यो से लगाया जा सकता है इसे कपड़े बनते है, इसका तेल निकलता है और इसका विनोला बिना रेशा का पशु आहर में व्यापक तौर पर उपयोग में लाया जाता है।
सबसे लम्बे रेशा वाले कपास को सर्वोतम माना जाता है जिसकी लम्बाई लगभग 5 सेंटीमीटर होती है इसको उच्च कोटि की वस्तुओं में शामिल किया जाता है। मध्य रेशा वाला कपास (Cotton) जिसकी लगभग लम्बाई 3.5 से 5 सेंटीमीटर होती है इसको मिश्रित कपास कहा जाता है।तीसरे प्रकार का कपास छोटे रेशा वाला होता है। जिसकी लम्बाई 3.5 सेंटीमीटर होती है।
कपास के प्रकार लम्बे रेशे वाली कपास, मध्य रेशे वाली कपास और छटे रेशे वाली कपास.कपास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें….
- कपास एक रेशे वाली फसल हैं यह कपडे़ तैयार करने का मुख्य रेशा हैं।
- मध्यप्रदेश राज्य में कपास सिंचित एवं असिंचित दोनों तरह के क्षेत्रों में लगाया जाताहैं।
- प्रदेश में कपास फसल का क्षेत्र 7.06 लाख हेक्टेयर था तथा उपज 426.2 किग्रा लिंट/हे.
- बी.टी.कपास से अधिकतम उपज दिसम्बर मध्य तक लेली जाती हैं जिससे रबी मौसम गेहूँ का उत्पादन भी लिया जा सकता हैं।
कपास की उन्नत किस्में की लिस्ट राज्य के अनुसार अलग अलग है. किसान भाइयों वर्तमान में बी टी कपास का बोलबाला है. जिसकी किस्मों का चुनाव आप अपने क्षेत्र, परिस्थितियों और क्षेत्र की प्रचलित किस्म के अनुसार ही करें| लेकिन कुछ प्रमुख नरमा, देशी और संकर कपास की अनुमोदित किस्में क्षेत्रवार इस प्रकार है, जैसे-
उत्तरी क्षेत्र के लिए अनुमोदित किस्में-
राज्य | नरमा (अमरीकन) कपास | देशी कपास | संकर कपास |
पंजाब | एफ- 286, एल एस- 886, एफ- 414, एफ- 846, एफ- 1861, एल एच- 1556, पूसा- 8-6, एफ- 1378 | एल डी- 230, एल डी- 327, एल डी- 491, पी एयू- 626, मोती, एल डी- 694 | फतेह, एल डी एच- 11, एल एच एच- 144 |
हरियाणा | एच- 1117, एच एस- 45, एच एस- 6, एच- 1098, पूसा 8-6 | डी एस- 1, डी एस- 5, एच- 107, एच डी- 123 | धनलक्ष्मी, एच एच एच- 223, सी एस ए ए- 2, उमा शंकर |
राजस्थान | गंगानगर अगेती, बीकानेरी नरमा, आर एस- 875, पूसा 8 व 6, आर एस- 2013 | आर जी- 8 | राज एच एच- 116 (मरू विकास) |
पश्चिमी उत्तर प्रदेश | विकास | लोहित यामली | – |
मध्य क्षेत्र हेतु अनुमोदित किस्में-
राज्य | नरमा (अमेरिकन) कपास | देशी | संकर |
मध्य प्रदेश | कंडवा- 3, के सी- 94-2 | माल्जरी | जे के एच वाई 1, जे के एच वाई 2 |
महाराष्ट्र | पी के वी- 081, एल आर के- 516, सी एन एच- 36, रजत | पी ए- 183, ए के ए- 4, रोहिणी | एन एच एच- 44, एच एच वी- 12 |
गुजरात | गुजरात कॉटन- 12, गुजरात कॉटन- 14, गुजरात कॉटन- 16, एल आर के- 516, सी एन एच- 36 | गुजरात कॉटन 15, गुजरात कॉटन 11 | एच- 8, डी एच- 7, एच- 10, डी एच- 5 |
दक्षिण क्षेत्र हेतु अनुमोदित किस्में-
राज्य | नरमा (अमेरिकन) कपास | देशी | संकर |
आंध्र प्रदेश | एल आर ए- 5166, एल ए- 920, कंचन | श्रीसाईंलम महानदी, एन ए- 1315 | सविता, एच बी- 224 |
कर्नाटक | शारदा, जे के- 119, अबदीता | जी- 22, ए के- 235 | डी सी एच- 32, डी एच बी- 105, डी डी एच- 2, डी डी एच- 11 |
तमिलनाडु | एम सी यू- 5, एम सी यू- 7, एम सी यू- 9, सुरभि | के- 10, के- 11 | सविता, सूर्या, एच बी- 224, आर सी एच- 2, डी सी एच- 32 |
पिछले 10 से 12 वर्षों में बी टी कपास की कई किस्में भारत के सभी क्षेत्रों में उगाई जाने लगी हैं| जिनमें मुख्य किस्में इस प्रकार से हैं, जैसे- आर सी एच- 308, आर सी एच- 314, आर सी एच- 134, आर सी एच- 317, एम आर सी- 6301, एम आर सी- 6304 आदि है|
भारत की लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर हर साल कपास की खेती की जाती हैं। इसके प्रत्येक हेक्टेयर क्षेत्र में 2 मिलियन टन कपास के डंठल अपशिष्ट के रूप में विद्यमान रहते हैं। भारत मे कपास मुख्यत रूप से महाराष्ट्र मे बोई जाती है। और मध्यप्रदेश के पश्चिम निमाड़ क्षेत्र में भी कपास की खेती की जाती है.